श्याम सुन्दर से बोली मुरलिया,
तुम बजने के काबिल नहीं हो [2]
में तो सीधी बांस की बसुरिया,
तुम तो टेढ़े हो मेरे सांवरिया
तुम तो नटखट हो मेरे कन्हिया,
मुह लगाने के काबिल नहीं हो
श्याम सुन्दर से बोली ----[1]
तुम तो वन-वन में गैया चराते,
और घर-घर में माखन चुराते
तेरी चोरी की आदत बुरी है,
घर बुलाने के काबिल नहीं हो
श्याम सुन्दर से बोली ----[2]
मेरी गोरी है राधा प्यारी,
तुम तो काले हो मेरे सांवरिया
तेरे दो-दो पिता दो-दो मैया,
मेरी राधारानी के काबिल नहीं हो
श्याम सुन्दर से बोली----[3]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
हैल्लो