Krishna Bhajan, मैया दे दो म्हारो मदन गोपाल

                          दोहा

मीरा गढ़ से उतरी राणा पकडियो हाथ 

छोड दे राणा हाथ मारो सांवरियो भरतार 


मैया दे दो म्हारो मदन गोपाल जद जाऊ सासरियों [2]


पांच बरस की उमर हमारी जब से प्रेम कियो गिरधारी 

म्हारे और न कोई सुवाई कोणी जाऊ सासरियो [2]

मैया----[1]

सांवली सूरत मोहनी मूरत मै तो वर पायो गोपाल 

जद जाऊ सासरियो [2]

मैया----[2]

मात-पिता और कुटुम कबीलों ये दो दिन का रेन झमेला 

म्हारी नैया लगादो पार जद जाऊ सासरियो [2]

मैया----[3]

Krishna Bhajan

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             Conciusion- Krishna bhajan

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