है गणपति गजानन्द मेरे द्वार तुम पधारो [2]
बिगड़ी मेरी बनाके मेरा भाग्य तुम संवारो [2]
है गणपति----[1]
शुभ लाभ के हो दाता [2] तुम भाग्य के विधाता
मर्जी बिना तुम्हारे धनधान कुछ न आता [2]
नैया फंसी भंवर में [2] उसे पार तुम उतारो
बिगड़ी मेरी बना के मेरा भाग्य तुम संवारो [2]
है गणपति----[2]
निर्बल को देते काया [2] निर्धन पर करते छाया
देवो में अग्रणी तुम जग तुम में ही समाया [2]
है ज्ञान का है दर्पण [2] मुझको भी तो उबारो
बिगड़ी मेरी बना के मेरा भाग्य तुम संवारो [2]
है गणपति----[3]
जानू न पाठ जब तक[2] कैसे तुझे मनाऊ
तेरी महिमा गाकर भगवन तुझको तो में रिझाऊ [2]
रिद्धि सिद्धि संग विनायक [2] मेरी प्राथना स्वीकारो
बिगड़ी मेरी बना के मेरा भाग्य तुम संवारो [2]
है गणपति----[4]
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हैल्लो