श्याम कैसे बजाई मुरलिया

श्याम कैसे बजाई मुरलिया

मेरी जमुना में बह गई गगरिया [2]

गई थी जमुना के तीर वह भरने को नीर

वाह मिल गया कृष्ण कन्हिया

मेरी जमुना में बह गई गगरिया [2]

श्याम ------[1]

शुध बुध खो गई बाबरी हो गई 

मेरी खो गई पैर की पायलिया [2]

मेरी जमुना में बह गई गगरिया 

श्याम ------[2]

कभी इधर चलु कभी उधर चलु 

मैं तो भूल गई घर की डगरिया [2]

मेरी जमुना में बह गई गगरिया

श्याम ------[3]






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